नमस्कार दोस्तों ।
आधुनिकता के इस दौर में जहां हमारा अधिकतर समय मोबाइल फोन या टीवी स्क्रीन या फिर कंप्यूटर या लैपटॉप की स्क्रीन पर काम करते हुए या मनोरंजन करते हुए व्यतीत होता है । ऐसे में हमारी आंखों के ऊपर इसका दुष्प्रभाव भी बहुत अधिक पड़ता है । तो इसके लिए जरूरी है कि हम आधुनिकता के साथ-साथ अपने शरीर पर भी उतना ही ध्यान दें । तो आइए अभी हम इस पोस्ट में वार्ता करेंगे कि किस प्रकार आप अपनी आंखों की दृष्टि को या विजन को सुधार सकते हैं । यदि आप चश्मे का उपयोग कर रहे हैं तो भी आपका चश्मे का नंबर धीरे-धीरे कम होने लगेगा और पूर्णतया आप चश्मे को त्याग भी सकेंगे
यदि आपको भी आंखों से कम दिखाई देने की समस्या है और आपका भी विजन कमजोर हो चुका है तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें क्योंकि इस पोस्ट में हम आंखों के विजन को सुधारने या आपकी दृष्टि को सुधारने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचारों का वर्णन करेंगे जो कि अवश्य ही आपको लाभदायक फल देंगे
- मुलहठी के रस की बूँदें आँखों में डालें।
- 4 ग्राम बहेड़े और मिश्री को मिलाकर गर्म पानी से सेवन करें। यह दवा सुबह ही ले।
- बड़ी सौंफ, कूजे वाली मिश्री और बादाम की गिरी - तीनों को कूट-पीसकर चूर्ण करके किसी बर्तन में रख लें। सोने के लिए जाने से पहले 12 ग्राम यह चूर्ण रोज़ पौन गिलास दूध के साथ सेवन करें।
अन्य और सहायक उपचार
- 5 ग्राम सूखे आँवले रात के समय एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह उठने पर छानकर उस पानी से आँखों पर छीटें मारकर उन्हें धोएँ ।
- पालक के रस का सेवन करें।
- केले का सेवन करें।
- बादाम रात को पानी में भिगो दें। सुबह छिलका उतारकर ठंडाई बनाकर पीएँ ।
- सुबह हरि दूब पर नंगे पाँव चलना चाहिए।
- कोई भी दिमागी काम करते हुए या पढ़ते हुए बीच-बीच में बार-बार पलकें झपकाएँ। जब भी हम पलकें झपकाते हैं तो आँखों की एक ग्रन्थि से निकलने वाला एक तरल पदार्थ गोलों के ऊपर से निकलकर जाता है और आँखों को तरल रखता है।
- आँखें बंद करके सूर्य की तरफ मुँह करके खड़े हो जाएँ। कुछ देर सिर को दाएँ-बाएँ घुमाकर एक सैकेंड के लिए आँखें खोलें, पर सूर्य की तरफ मत देखें, उसके आस-पास ही कहीं देखें और फिर बंद कर लें।
- आँखों की कसरत करें। (दोनों पैरों के बीच कुछ फासला रखकर खड़े हो जाएँ। फिर पूरी शरीर को पैर की एड़ी के साथ दाएँ और बाएँ 90° घुमाएँ।) यह कसरत 6 मिनट रोज़ करें।
सावधानियां
- बहुत तेज़ या कम रोशनी में मत पढ़ें।
- ज्यादा रोशनी में आँखें ज़रूरत से ज्यादा रोशनी से बचने के लिए सिकुड़ जाती हैं और कम रोशनी में आँख की पुतलियाँ अधिक रोशनी की तलाश में ज्यादा खुल जाती हैं। दोनों ही स्थितियाँ आँखों के लिए हानिकारक सिद्ध होती हैं।
- लेटे हुए मत पढ़ें।
- चलते हुए या यात्रा के दौरान मत पढ़ें।
- बीमारी की हालत में मत पढ़ें।