दाने पृथक करने के पश्चात् गेहू के पोधो को जलाकर राख करें और इस राख को चार गुना पानी में भिगोकर कपडे में से छान कर रखें। जब पानी निथर जाए और मैल नीचे बैठ जाए तो निथरे हुए पानी को सावधानी से पृथक करके लोहे की कढाही में आंच पर पकाएं। जब पानी सूख जाए तो कटाही को आंच पर से उतार ले और इसमें लगी हुई सफेद चीज को खुरच कर बारीक पीसें और कपड़े में से छान कर शीशी में रखें यह गेहूं का क्षार है ।
बवासीर- एक-एक ग्राम गेहू का क्षार प्रातः व साय ताजा जल के साथ खाने से खूनी बवासीर ठीक हो जाती है।
गेहू के क्षार को दुगने मक्खन में खरल करके बवासीर के मस्सो पर लगाना लाभदायक है ।
जिगर विकार - एक - एक ग्राम गेहू का क्षार प्रातः गाय की छाछ के साथ और साय ताजा जल के साथ सेवन करना तिल्ली और जिगर विकार मे लाभदायक है।
दमा - एक-एक ग्राम गेहू-क्षार स्वभावानुकूल रोगी को गरम या ताजे जल के साथ प्रात व साय सेवन कराने से दमे को दूर करता है ।
पत्थरी – एक-एक ग्राम गेहू का क्षार प्रात व साय जल के साथ सेवन करने से पत्थरी दूर हो जाती है।
पेट के कीड़े - एक-एक ग्राम गेहू का क्षार प्रात. गाय की छाद्य और साय ताजा जल के साथ खिलाने से पेट के हर प्रकार के कोडे दूर हो जाते हैं ।
वायुगोला - एक - एक ग्राम गेहू-क्षार प्रात और साय गरम जल से सेवन करें, इससे वायुगोला ठीक हो जाता है।
सुजाक (Gonorrhea) एक- एक ग्राम गेहू का क्षार प्रात व साय गरम जल से सेवन करने से मुजाक दूर हो जाता है इसी प्रकार सेवन करने से रुका मूत्र खुल कर आने लगता है ।
खांसी - गेहू का क्षार एक भाग, गुड दो भाग दोनों को मिलाकर एक-एक ग्राम की गोलियाँ वन लें। एक-एक गोली दिन में दो-तीन बार मुह में रखकर चूसने से खांसी दूर हो जाती है ।
बदहजमी - गेहू क्षार एक भाग, सोठ दो भाग दोनों को बारीक पीसकर कपड़े में छान लें। एक-एक ग्राम दिन में तीन-चार बार तनिक गरम जल के साथ सेवन करने से बदहजमी दूर हो जाती है। यदि पेचिश हो चौर इसमें खून आता हो या श्राव आती हो तो भी इसी प्रकार सेवन करें।
क्षीण दृष्टि- गेहू - क्षार एक भाग, काला सुरमा पाँच भाग — दोनो को एक सप्ताह तक नींबू के रस में खरल करें। प्रात व साय इसे आंखों मे लगाने से नज़र की कमजोरी दूर हो जाती है ।
मुदत मजन - गेहू - क्षार, हरड ओर बहेडा प्रावला (गुठली निकाल कर ) सव वरावर वजन (चारो पचास-पचास ग्राम) लेकर वारीक पीसें और कपडे मे छानें । इमे मजन के रूप मे प्रात व साय उगली के साथ दानो और मसूडो पर लगाएँ और दस मिनट पश्चात् ताजा या उष्ण जल से मुह साफ करें। यह दातों का मैल, मुह की दुर्गन्ध, जुबान के छाले, मसूढ़ों से खून आना, मसूढ़ों का फूलना या पीप इत्यादि कष्टो को दूर करता है ।
पीडा - गेहू - क्षार और नौसादर वरावर वजन वारीक पीस कर रखें । गरम दूध या ताजा जल के साथ चार रत्ती सेवन करने से शरीर के किसी भाग मे भी पीडा हो, श्रागम श्रा जाता है ।
मलेरिया - मलेरिया (मौसमी बुखार) मे एक ग्राम गेहू - क्षार पानी के साथ खिलाएँ—- बुखार उतर जाएगा ।
सावधान - गेहू-क्षार का निरंतर सेवन पुरषों के पुरुषत्व तथा स्त्रियों की छातियो को कमजोर कर देता है। इसका सेवन कभी-कभी औषधि के रूप में ही होना चाहिए।